फर्जी स्टांप पेपर के मामले में पुलिस को मिली बड़ी कामयाबी, एक युवक और एक युवती को गिरफ्तार किया

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एक बार फिर से कानपुर की बर्रा पुलिस ने फर्जी स्टांप मामले में एक युवक और युवती को गिरफ्तार किया है
कानपुर के बर्रा में जाली स्टांप और टिकट बिक्री का पर्दाफाश करने के बाद एक बार फिर से बर्रा पुलिस ने दो आरोपियों को गिरफ्तार किया है शातिरों से पूछताछ में कई रहस्य उजागर हुए हैं। पुलिस अब मुख्य सप्लायर की तलाश में जुट गई है
कानपुर बर्रा में दो स्टांप विक्रेताओं को पकड़कर 2 लाख 70 हजार रुपये के जाली स्टांप और टिकट बरामदगी की है इस पूरे मामले में पुलिस और सर्विलांस की टीम छानबीन कर रही है। पुलिस ने शातिरों के मोबाइलों की छानबीन कर एक दर्जन नंबर निकाले हैं। शातिरों के वाराणसी और मुगलसराय में भी कनेक्शन मिले हैं। इनसे पूछताछ में सामने आया कि वर्ष 1950 तक के स्टांप और नोटरी टिकट मुहैया कराते थे।
शातिर चंदन कुमार गुप्ता पुत्र श्याम सुंदर गुप्ता जिला जौनपुर और शातिर महिला सरिता सरोज पत्नी अर्जुन प्रसाद थाना लालगंज जिला वैशाली बिहार के रहने वाले है दोनो से पूछताछ के दौरान इनके द्वारा बताया गया है कि यह स्टांप लखनऊ से, बदायूं कोषागार से प्रयोग हो चुके हैं इन्हें असली के रूप में प्रयोग करने के लिए अपने साथ लेकर जा रहे थे लॉटरी टिकट के बारे में बताया कि यह नोटरी टिकट एक बार प्रयोग करने के उपरांत धुलकर कर तैयार किए गए हैं इन्हें हम लोग स्टांप वेंडरों से संपर्क कर 60% कीमत पर खरीद कर बेचते हैं स्थानों से पुराने स्टांप लेकर आते थे। ब्लीच से उसे रीसाइकिल करके बेचते थे। शातिरों ने बताया कि बड़ी धनराशि के स्टांप खरीदकर स्टॉक में भी रखते थे, जिन्हें सामान्य तौर पर बेचते थे। पुराने वर्षों के लिए स्टांप और टिकट ब्लीच करके बेचते थे। वर्ष 1950 और उसके बाद तक के बिना नंबर वाले स्टांप और टिकट भूमि विवाद वाले लोगों को मनमाने दामों पर बिक्री करते थे।
एसपी साउथ दीपक भूकर ने बताया कि दोनों आरोपितों के मोबाइल नंबरों की छानबीन में एक दर्जन संदिग्ध मोबाइल नंबर मिले हैं जो जाली स्टांप के मुख्य सप्लायर के बताए जा रहे हैं। दोनों के वाराणसी और मुगलसराय में भी कनेक्शन सामने आए हैं। सीडीआर पर काम करने के साथ संदिग्ध नंबरों को भी सर्विलांस पर लगाया गया है।
सेटिंग से रजिस्टर में भी दर्ज कराते थे विवरण
शातिरों ने ट्रेजरी विभाग के कर्मियों से सेटिंग बना रखी थी। पुराने स्टांप और टिकट का ब्यौरा ट्रेजरी के रजिस्टर में अंकित कराते थे। कोई अगर आरटीआइ के माध्यम से भी उक्त स्टांप और टिकट के बारे में सूचना मांगता था तो पुरानी तारीखों पर रजिस्टर में अंकित होने के चलते यहां भी मामला नहीं फंसता था।
थाना प्रभारी बर्रा हरमीत सिंह ने बताया कि ट्रेजरी कर्मियों से कनेक्शन उजागर हुए हैं। पुलिस अब ट्रेजरी कर्मियों पर भी नजर रखे है। सीडीआर के आधार पर अगर किसी कर्मी की संलिप्तता मिलती है तो कार्रवाई की जाएगी। पुलिस की जांच में दोनों का नाम सामने आया है और पाया गया है दोनों स्टांप बिक्री के लाइसेंस की आड़ में ही इस धंधे को अंजाम दे रहे थे। एडीएम वित्त एवं राजस्व वीरेंद्र पांडेय ने बताया कि मामले में जांच की जाएगी और फिर उनके लाइसेंस रद्द किए जाएंगे।
रिपोर्ट इनपुट हेड अनुज जैन