भारतीय प्रेस परिषद के सदस्य ने पत्रकार उत्पीड़न को लेकर मुख्यमंत्री को लिखा पत्र

उत्तर प्रदेश में पत्रकारों के उत्पीड़न से लेकर पत्रकारों के ऊपर हो रही f.i.r. की घटनाओं में तेजी से इजाफा हो रहा है। जिसको देखते हुए भारतीय प्रेस परिषद के सदस्य श्याम सिंह पवार ने उत्तर प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर कहा है कि उत्तर प्रदेश में ऐसे कई मामले प्रकाश में आ चुके हैं। जिनमें स्थानीय प्रशासन की नाकामी लापरवाही उजागर करने में मीडिया कर्मियों के विरुद्ध संज्ञेय धाराओं में मुकदमे दर्ज करवाए गए हैं।
लोकतांत्रिक प्रणाली में यह कदापि उचित नहीं ठहराया जा सकता है। स्थानीय प्रशासन की कार्यशैली के कारण उत्तर प्रदेश में मीडिया कर्मियों के मन मस्तिक में भय व्याप्त करने का वातावरण बनाया जा रहा है। इस ओर आपको ध्यान देना चाहिए। अगर आप उत्तर प्रदेश के चर्चित मामलों पर प्रकाश डालेंगे, तो ऐसे कई प्रकरण सामने आ चुके हैं,
जिसमें प्रतीत होता है कि स्थानीय प्रशासन को निस्वार्थ के कारण प्रेस कर्मियों के अधिकारियों की चिंता कदापि नहीं है। बल्कि वे अपनी नाकामी अथवा लाचार लापरवाही कुछ पाने के लिए मीडिया कर्मियों पर मुकदमा दर्ज करवाकर तानाशाही का संदेश देने का याद कर रहे हैं।
पत्र लिखते हुए पवार ने यह भी बताया कि उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले के प्राथमिक विद्यालय में छात्र-छात्राओं के मिड-डे-मील में नमक रोटी के समाचार प्रकाशित होने की खबर से लेकर कानपुर नगर जिले में भय का वातावरण बनाने के लिए कार्य किया था।
ऐसे ही कोरोना काल के दौरान होमगार्डों की समस्या को प्रसारित करने पर बाबूपुरवा थाने में एक साप्ताहिक समाचार पत्र के संपादक के विरुद्ध मामला दर्ज करवाया गया था और समाचार पत्र के संपादक को मानसिक रूप से प्रताड़ित करने का कार्य किया गया था।
पवार ने मुख्यमंत्री को लिखे गए पत्र में ऐसे कई मामलों का जिक्र किया है जो कि पत्रकारों के उत्पीड़न को लेकर हैं। पवार ने पत्रकारों की आवाज को बुलंद करने के लिए मुख्यमंत्री से अपील की है कि लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ को स्वतंत्र किया जाए। जोकि निष्पक्षता से अपनी आवाज को बुलंद कर सके। जिससे जरूरतमंद की आवाज बुलंद हो सके और लोगों को न्याय मिल सके। क्योंकि मीडिया देश का बहुत बड़ा अंग है। पवार ने पत्रकारों पर हो रहे उत्पीड़न को लेकर मुख्यमंत्री से न्याय की अपील की है। उनको को पत्र लिखकर भेजा है।