आमलकी एकादशी-रंगभरनी एकादशी-25.मार्च.2021को जाने महत्व – ज्योतिषाचार्या स्वाति सक्सेना*

एकादशी को सभी व्रतों में सर्वोत्तम माना जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, फाल्गुन मास में शुक्ल पक्ष एकादशी को आमलकी एकादशी का व्रत रखा जाता है। इसे आंवला एकादशी के नाम से भी जानते हैं। इस दिन आंवले के पेड़ की विधि-विधान से पूजा कर लोग उपवास रखते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यह व्रत व्यक्ति को रोगों से मुक्ति दिलाने वाला होता है। इस साल आमलकी एकादशी व्रत 25 मार्च (गुरुवार) को रखा जाएगा
विष्णु पुराण के अनुसार एक बार भगवान विष्णु के मुख से चंद्रमा के समान प्रकाशित बिंदू प्रकट होकर पृथ्वी पर गिरा। उसी बिंदू से आमलक अर्थात आंवले के महान पेड़ की उत्पत्ति हुई। भगवान विष्णु के मुख से प्रकट होने वाले आंवले के वृक्ष को सर्वश्रेष्ठ कहा गया है। इस फल के महत्व को बताते हुए उन्होंने कहा कि इस फल के स्मरणमात्र से रोग एवं ताप का नाश होता है तथा शुभ फलों की प्राप्ति होती है। यह फल भगवान विष्णु जी को अत्यधिक प्रिय है। इस फल को खाने से तीन गुना शुभ फलों की प्राप्ति होती है।
आंवले के पेड़ में भगवान विष्णु का वास माना जाता है. आंवले के पेड़ में ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों का वास माना जाता है.
ब्रह्मा जी आंवले के ऊपरी भाग में, शिव जी मध्य भाग में और भगवान विष्णु आंवले की जड़ में निवास करते हैं.
यही कारण है की हम आज ब्रह्मा विष्णु महेश का पूजन एक साथ करते है ।
फाल्गुन मास शुक्ल पक्ष की एकादशी को रंगभरनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता हैं । आज ही के दिन से ही श्री ठाकुर जी। श्री बाँके बिहारी लाल रंगों से होली खेलना शुरू कर देते हैं । और रंगों के उत्सव की शुरुवात होती हैं । रंगभरनी एकादशी पर श्री ठाकुर जी को गुलाल अर्पित करना चाहिए । रंगों से पूजन कर उन का आशीर्वाद लेने चाहिए ।
📿भगवान विष्णु का पूजन पीले चंदन से करें और माँ लक्ष्मी का पूजन लाल रोली से कर लाल कपड़े पर गोमती चक्र और कौड़ियों का पूजन करना भी श्रष्ट मन गया है।
📿विष्णु मंत्रो का जाप करें
📿आंवले के वृक्ष का पूजन करें ।
📿विष्णु सहस्त्र नाम का पाठ करें ।
📿भगवान श्री कृष्ण का पूजन कर रंग अर्पित करें ।